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अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान कैसा शासन चलाएगा?

क्या वो वही पुराने तोर तरिके अपनाएगा या फिर अफ़ग़ानिस्तान के लिए इस बार उसके लिए सोच अलग है। अफ़ग़ानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंदहार पर भी तालिबान का कब्ज़ा हो गया है अब डर ये है की तालिबान राजधानी काबुल पर हमला न कर दे कंदहार पहले भी तालिबान का गढ़ रह चूका है व्यापार के लिहाज से भी कंदहार महत्वपूर्ण है

काबुल: अफ़ग़ानिस्तान जंग के एक बुरे दौर से गुजर रहा है सालो से जंग की मार झेल रहए वहा के लोग एक बार फिर जान बचा कर भाग रहए है। और राजधानी काबुल में शरण ले रहए है और वही कंदहार पर कब्ज़ा कर चुके तालिबान का अगला लक्ष्य काबुल पर नियन्त्र करने का है लेकिन ऐसा वो करना क्या चाहता है? क्या वो वही पुराने तोर तरिके अपनाएगा या फिर अफगानिस्तान के लिए इस बार उसके लिए सोच अलग है।

अफ़ग़ानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंदहार पर भी तालिबान का कब्ज़ा हो गया है अब डर ये है की तालिबान राजधानी काबुल पर हमला न कर दे कंदहार पहले भी तालिबान का गढ़ रह चूका है व्यापार के लिहाज से भी कंदहार महत्वपूर्ण है ।
इसलिए जीत तालिबान के लिए बहुत मायने रखती है तालिबान अब अफ़ग़ानिस्तान के एक तिहाई प्रांतीय की राजधानियों पर कब्ज़ा कर चूका है।

इस्‍माइल खान: इनमे हेलमंद प्रान्त की राजधानी लश्कर गाह के साथ साथ अफ़ग़ानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा शहर हेरात भी शामिल है। और तालिबान का दवा है की उसके हेरात के वॉर लॉर्ड इस्‍माइल खान को हिरासत में लिया है अगर इस बात की पुष्टि हो जाती है तो ये अफ़ग़ान सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

अफ़ग़ानिस्तान 2021 तालिबान वापिस आ गया अफ़ग़ान सेना के नियंत्रण से कई शहरों को अपने कब्जे में लेता हुआ आगे बढ़ रहा है विदेशी सैनिको की वापिसी में जो जगह खाली की है तालिबान जल्द वो जगह लेने की कोशिश कर रहा है और लोगो को दर है की अगर वो सत्ता में आए तो 90 के दशक क्रूर तालिबान राज उन्हें फिर से देखना पड़ेगा ।

जहा पर सार्वजनिक तौर पर पत्थर मारे जाते थे फांसी दी जाती थी और लड़कियों को स्कूल जाने की मना किया जाता था फ़े᠎̮ब्रुअरि 2020 में अमेरिका और तालिबान के बिच ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए और अफ़ग़ान सरकार और तालिबान की बिच दोहा के कतर में शांति वार्ता होरी है इसके बावजूद अब तक बात आगे नहीं बड़ी फिलहाल ऐसा लगरा है की दोहा में जो बात होरी है और अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान कमांडर जो कुछ कर रहए है उनमे बड़ा अंतर है लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के उप-राष्ट्रपति को इसका दर नहीं है ।

 

सरकार कोशिश कर रही है की शरीया क़ानून की एक नए युग की शुरुवात ना हो वही अफ़ग़ानिस्तान अब भी जंग की आग में झुलस रहा है। जो सालो से चल रहए है।

तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिए है अफ़ग़ान सुरक्षा बलों का कहना है की वो कुछ शहरों को दुबारा कब्जे में करने के लिए लड़ाई लड़ रहए है अमेरिकी सेना भी तालिबान के खिलाफ कई इलाको में हवाई हमले कर रही है लेकिन इस पुरे संघर्ष की मार झेलनी पढ़ री है अफ़ग़ानिस्तान के आम लोगो को हजारो लोग विस्थापित हो गए है और कई लोगो को जीने की जरूरी चीज़े भी नहीं मिल पारी है।

पिछले कुछ दिनों में हज़ारो लोग काबुल पहुंचे जो एक अच्छी खासी ज़िंदगी जी रहए थे जिनके पास घर था नौकरी थी पर अब सब कुछ छोड़ना पड़ा उन्हें नाराज़गी है की उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है मदद के लिए न कोई सरकार आगे आई ना ही कोई एजेंसी
जैसे जैसे तालिबान इस इलाके में अपना कब्ज़ा जमाता जारा है वैसे वैसे लोग यहां आते जारे है।

अशरफ गनी: कई लोगो को अपनी जान बचाने के लिए अपने परिजनों की लाशो को छोड़कर आना पड़ा जो लोग भागकर काबुल आए है उन्हें नहीं पता उनका क्या होगा। इस बीच अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री अब्दुल सत्ता मिर्जकवाल का कहना है। काबुल पर हमला नहीं होगा और सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होगा उन्होंने कहा की काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सुरक्षाबलों की है तालिबान के काबुल के घेरने के बाद अब इस बात का डर भी बढ़ गया है कि अगले 24 घंटों में अफ़ग़ानिस्तान राष्ट्रपति अशरफ गनी इस्तीफा दे सकते हैं।

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